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Ayurvedic Treatment for Mental Illness (मानसिक रोग दूर करने के आयुर्वेदिक उपचार)

Ayurvedic Treatment for Mental Illness

मेरा नाम डॉ. अनिल कुमार शर्मा है। मैं एक आयुर्वेदिक चिकित्सक हूँ। मैंने 35 वर्ष तक राजकीय सेवा राजस्थान सरकार में की और मैं अतिरिक्त निदेशक, आयुर्वेद विभाग,राजस्थान सरकार से वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त हुआ। मैंने मेरी प्रैक्टिस में सैकड़ो मानसिक रोगियों (Mental Patients) का इलाज सफलतापूरक आयुर्वेदिक और व्यवहारिक पद्दति से किया है| मानसिक रोगों (Mental Illness) का बहुत बड़ा कारण मस्तिष्क का कमजोर होना और उसका सुचारू रूप से कार्य नही करना होता है। इस आर्टिकल में, मैं आपको मानसिक रोग दूर करने के आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Mental Illness) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है।

मानसिक रोगों के मुख्य कारण (Main Causes of Mental Illness)

  1. मस्तिष्क की कमजोरी।
  2. विचारों की कमजोरी।
  3. अनुवांशिक मानसिक विकार।

मुख्यत: मैं इन तीन कारणों  पर पहुँचा और मैंने पाया की इन तीन कारणों  को साधने पर समस्त प्रकार के मानसिक रोगियों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है, और उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

मुख्य मानसिक रोग (Main Mental Diseases)

  1. डिप्रेशन (Depression)
  2. एंग्जायटी (Anxiety)
  3. मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder)
  4. ओ.सी.ड़ी (OCD, Obsessive Compulsive Disorder)
  5. बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder)
  6. स्किज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia)
  7. व्यसन (Addiction)
  8. अनिद्रा (Insomnia)

मुख्यत: मानसिक रोगियों में एक या एक से अधिक मानसिक रोगों (Mental illnesses) के लक्षण पाएं जाते है। इन रोगों के लिए मस्तिष्क विकार और वैचारिक विकार जिम्मेदार है, कभी-कभी यह समस्या आंशिक भी होती है। रोग की गंभीरता और कारण अनुसार के उपचार की अवधि भिन्न हो सकती है।

मैंने इन सभी रोगों से ग्रसित मरीजों का ईलाज निरापद (without any side effect) तरीको से किया, इलाज लम्बा रहा पर इलाज से मरीजों का जीवन बेहतर हुआ और आज वो एक स्वस्थ जीवन जी रहें है।

मानसिक रोग (Mental Illness) Introduction:

मानसिक रोग (Mental Illness) मुलत: दिमाग में होने वाले केमिकलो के असंतुलन के कारण होते है, और इसके कारण मनुष्य के विचार, सोचने, समझने की शक्ति, बहुत अधिक प्रभावित हो जाती है। मानसिक कमजोरी (Maanasik Kamajoree) के कारण विचारों में भी कमजोरी आ जाती है। इस लेख में हम तमाम मानसिक बीमारीयों और उसके इलाज (mental illness and its treatment) के बारे में चर्चा करेंगे।

मानसिक कमजोरी और रोगो के कारण (Reasons of Mental Weakness & Diseases)

Mental Weakness & Diseases (मानसिक कमजोरी या रोगो) के मुख्य कारण हो सकते है।

  • पोषण की कमी, पर्याप्त मात्रा में पोषण नही मिलने पर व्यक्ति में धीरे-धीरे मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व है, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन B6, विटामिन B9 (फोलिक एसिड), विटामिन B12 और विटामिन D। आज के समय में भारत देश में लगभग 50% लोगो में कैल्शियम और विटामिन B12 की कमी पायी जाती है।
  • गर्भावस्था में रही पोषण की कमी के कारण भी व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास प्रभावित हो जाता है। इससे व्यक्ति के मस्तिष्क में मानसिक कमजोरी और मानसिक विकार उत्पन्न होने लगते है।
  • लम्बे समय तक तनाव में रहने के कारण कभी कभी आर्थिक, सामाजिक, पारवारिक, पेशेवर, या भावनात्मक निराशा या तनाव के कारण भी व्यक्ति मानसिक कमजोरी या मानसिक रोगों का शिकार हो जाता है।
  • मानसिक कमजोरी और मानसिक रोगों के कारण बहुत सारे मामलों में अनुवांशिक भी पाएं गए है।

विचारो में कमजोरी के निम्न कारण (Vichaaro Mein Kamajoree ke Nimn Kaaran)

  • पारिवारिक माहौल: कुछ लोग हमेशा डर के माहौल में रहते है उन्हें हमेशा शारारिक, सामाजिक, आर्थिक स्थिति  को लेकर डर और भय बना रहता है।
  • कभी कभी व्यक्ति अपने परिवेश से नारी, समाज, जाति आदि के प्रति कुछ विचारों को अपने अंदर समायोजित कर लेता है इससे उसके विचार पूर्वाग्रही और दूषित हो जाते है, और कुछ विपरीत परिस्तिथिया होने पर वह इन परिस्तिथियों  को सहन नही कर पाता है।
  • जीवन में किसी लक्ष्य की प्राप्ति नही होने पर व्यक्ति के विचार कभी कभी कमजोर पड़ जाते है।
  • जीवन में चुनौतियों के कारण कभी कभी व्यक्ति के विचार कमजोर पड़ जाते है।
  • किसी प्रियजन के छूट जाने पर या कुछ आशा के अनुरूप लक्ष्य नहीं मिलने पर भी व्यक्ति निराश हो जाता है,और उसके विचार कमजोर पड़ जाते है।

अनुवांशिक मानसिक विकार (Genetic Mental Disorders)

अनुवांशिक मानसिक विकार (Genetic Mental Disorders): यह विकार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होना समझा जा सकता है। यह रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में माता-पिता या किसी नजदीकी खून के रिश्तेदार में होने पर व्यक्ति में आ सकते है। मुख्यत: डिप्रेशन (Depression), ओ.सी.ड़ी (OCD), स्किज़ोफ्रेनिया(Schizophrenia), बाइपोलर डिसऑर्डर(Bipolar Disorder) है।

मानसिक विकार और उनके इलाज (Mental Disorders and Their Treatments)

  • डिप्रेशन(Depression): डिप्रेशन(Depression) एक मानसिक समस्या है, जो माइल्ड और सीवियर दोनों हो सकती है। डिप्रेशन(Depression) की स्थिति में व्यक्ति दु:खी महसूस करता है। उसे किसी काम को करने में रूचि नही आती। उसे नकारात्मक विचार आते है। घबराहट, बेचैनी, नींद में समस्या, उठाने का मन ना होना, आत्महत्या का विचार आना यह सारे या इनमें से कुछ लक्षण दिखाई दे सकते है।
  • एंग्जायटी(Anxiety): एंग्जायटी (Anxiety) यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमे व्यक्ति जल्दी से चिंतित हो जाता है, और उसे थोड़ी समस्या की स्थिति होने पर उसे अत्यधिक चिंता और घबराहट होने लगती है। अधिकतर यह चिंता और घबराहट बे-वजह होती है।
  • मूड डिसऑर्डर(Mood Disorder): कुछ मन के अनुकूल ना होने पर एकदम से निराश और दुखी हो जाना और कभी कभी एक दम खुश हो जाना ऐसी स्थिति हल्की और गंभीर दोनों हो सकती है। गंभीर स्थिति चिंताजनक होती है।
  • ओ सी ड़ी(OCD, Obsessive Compulsive Disorder): ओ सी ड़ी (OCD) इस डिसऑर्डर में व्यक्ति को बार-बार अनियन्त्रित बाध्यकारी विचार आने लगते है। किशोरावस्था में ही इस बीमारी के लक्षण आने शुरू हो जातें है। इसके रोगियों में सफाई के प्रति अति असुरक्षा, बार-बार हाथ धोना, और सेक्स के विचार आना प्रमुख लक्षण है। इस रोग में मस्तिष्क में सेरोटोनिन (Serotonin) नामक न्यूरोकेमिकल की कमी हो जाती है।
  •  स्किज़ोफ्रेनिया(Schizophrenia): स्किज़ोफ्रेनिया(Schizophrenia) एक मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति एक भ्रम की स्थिति में रहता है और वह ऐसा अनुभव करता है, जो वास्तविकता में होता ही नही, उसका वास्तविकता से कोई वास्ता नही होता।

स्किज़ोफ्रेनिया(Schizophrenia) बीमारी के कुछ लक्षण है,

(i) इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को लगेगा कि लोग उसके बारे में बातें कर रहें है या उसके ख़िलाफ़ साज़िश कर रहें है।

(ii) कई बार इस बीमारी से ग्रसित लोगो को लगता है की उसके नजदीकी लोग उसकी हत्या करना चाहते है।

(iii) ऐसे लोग पारलौकिक अनुभवों और अजीब लगने वाली बातें अधिक करते है।

इस बीमारी से पीड़ित मरीजों और अध्यन से मुझे यह जानकारी प्राप्त हुईं की ऐसे रोगियों के या तो किसी नज़दीकी ख़ून के रिश्तेदार में इस बीमारी के लक्षण पाए गए, या गर्भावस्था के दौरान जब यह लोग गर्भ में थे तब इनकी माँ या तो अत्यधिक तनाव में रही या उनका कुपोषित होना पाया गया|

  • बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder): बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस रोग के मरीजों में बहुत से मानसिक रोगों के लक्षण दिखाई देते है। यह एक मानसिक रोगों का समूह है जिसमें उन्माद, गुस्सा, बार-बार मूड में बदलाव होने की स्थिति का होना (कभी व्यक्ति बहुत दुखी और निराश हो जाता है तो कभी व्यक्ति बहुत खुश महसूस करने लगता है)। बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों में ओ.सी.ड़ी के लक्षण होना सामान्य है। बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों की समझने, सोचने, और याद रखने की स्थिति बहुत हद तक प्रभावित हो जाती है।
  • व्यसन(Addiction): व्यसन (Addiction) को भी हम एक मानसिक रोग मान सकते है क्यूंकि मानसिक और वैचारिक कमजोरी के कारण व्यक्ति किसी प्रकार के व्यसन में पड़ जाता है जैसे शराब,अफीम, तम्बाकू इत्यादि।
  • अनिद्रा(Insomnia): अनिद्रा(Insomnia) दो प्रकार की होती है एक्यूट और क्रोनिक दोनों ही प्रकार की अनिद्रा की समस्या को भी हम एक मानसिक रोग मान सकते है, क्यूंकि अनिद्रा या तो दिमाग में केमिकल के डिस्टर्बेंस के कारण होती है या अत्यधिक तनाव के कारण होती है।

मानसिक रोगों के उपचार (Treatments of Mental Disorder)

किसी भी रोग के इलाज़ के लिए उसके मूल कारण का पता लगाना जरुरी होता है। अधिकतर मानसिक रोगियों में वात की अधिकता पायी गयी है। रोग के कारण और जटिलता के अनुसार उपचार की अवधि में अंतर हो सकता है।

सभी मानसिक रोगों (Mental illness) के लिए निम्नलिखित निरापद (Without any side effects) उपाय उपचार में अन्यन्त लाभदायक है।

  • सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय के एक घंटे में जब सूर्य लालिमा लिए होता है तब सूर्य त्राटक करें(सूर्य त्राटक सूर्य की ओर ध्यान लगाने की एक विधि है)। इस विधि से मस्तिष्क को शक्ति मिलेगी सारे न्यूरोकेमिकल्स (दिमाग में पाएं जाने वाले केमिकल) को अपने कार्य को सुचारू रूप से करने में मदद मिलेगी। इस क्रिया में 2 से 3 मिनट का एक चक्र करें और कम से कम 5 से 7 चक्र करें ।
  • पौष्टिक खाद्य पदार्थों का भोजन में सेवन करें।
    1. सुबह खली पेट आगरे का पेठा शुद्ध अच्छे ब्रांड या कंपनी का ही उपयोग करें।
    2. सुबह 1 गिलास दूध इसके साथ भीगे बादाम या अखरोट का सेवन कर सकते हो।
    3. दिन के खाने में वर्षा ऋतु के अलावा दही का प्रयोग उचित मात्रा में जरूर करें पर ध्यान रखे की दही सादा, चीनी या गुड़ मिला उत्तम है।
    4. रात का खाना हल्का व सुपाच्य लें और शाम को सात बजे तक या सोने के 2 घंटे पहले लेना का प्रयास करें| शाम के खाने में खिचड़ी, दलिया ले देसी घी, दूध डालने के लेना उत्तम है।
    5. रात को सोने से पहले 1 गिलास दूध में गाय का घी अथवा ब्राह्मी घृत डाल के पीना अति उत्तम है।

सावधानी: गरिष्ठ (भारी, मसालेदार), इमली की चटनी, अमचुर से परहेज करें।

  • औषधि : Mentat DS सीरप जिसे हिमालय फार्मेसी द्वारा प्रोडक्ट की जाती है। इसे दिन में दो बार खाना खाने के आधा घंटे बाद 10ml (milli litre) दवा लगभग 2 चम्मच का सेवन करें या 2-2 टेबलेट सुबह शाम सेवन करें।

नोट : छोटे बच्चो को डॉक्टरी सलाह से ही दवा दे बड़े बच्चे और वयस्क 10 ml दवा का सेवन दिन में 2 बार कर सकते है। गर्भवती महिला, हृदय रोगी (जो खून पतला करने की दवा लेते है) किडनी या लिवर की बीमारी अथवा किसी गंभीर बीमारी या अन्य दवाओं के सेवन के साथ इस दवा का सेवन डॉक्टरी परामर्श से करें।

  • Supradyn नामक मल्टीविटामिन का प्रयोग मैंने मेरे मरीज़ो को कार्य दिन में 1 गोली, यह सस्ती और अच्छी मल्टीविटामिन है। इसमें मस्तिष्क के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व (Brain Nutrients) है।

नोट: इसे खाने के बाद Mentat-DS से कम से कम आधा घंटे के अंतराल से ले।

  • अपने आचरण को शुद्ध रखने का प्रयास करें, व्यभिचार, क्रोध, और निंदा करने से बचे शुद्ध धर्म का पालन करें।

शुद्ध धर्म सिखाने के लिए “श्री सत्यनारायण गोयनका” जी द्वारा विपस्सना ध्यान के 10 दिवसीय शिविर के दौरान दिए जाने वाले उपदेश के यूट्यूब और एंड्राइड एप के लिंक आपको नीचे उपलब्ध कराये जा रहे है। यह उपदेश नियमित रूप से सुने, धीरे धीरे इसके अनुसरण से आपका मन शुद्ध होने लगेगा विचार शुद्ध और मजबूत होने लगेंगे।

उपदेश का यूट्यूब लिंक

एप्प का लिंक

  • सुबह खाली पेट या भोजन के 2 घंटे उपरांत 10 से 20 मिनट यथासम्भव आनापान ध्यान विधि का अभ्यास करें। यह ध्यान विधि भी मन को केंद्रित करने और मस्तिष्क को मजबूत बनाने के लिए अत्यधिक लाभदायक है।

आनापान ध्यान 10 मिनट वीडियो

आनापान ध्यान 20 मिनट वीडियो

  • भूत और भविष्य के बारे में ना सोचकर वर्तमान में जीने का प्रयास करें। अपने रोज़ के लक्ष्य निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने का प्रयास करें।
  • यदि अनिद्रा की समस्या रहती है तो रात में सोने से पहले ठंडे अथवा हलके निवाये पानी में पैर भीगोये 5 सी 10 मिनट उसके पश्चात् सोये इससे नींद जल्दी आ जाएगी।
  • रात को समय से सोये सुबह सूर्य त्राटक करने के लिए जल्दी उठना आवश्यक है। सुबह 1 गिलास गरम पानी गिलास में ले और इससे घूट घूट करके इससे पेट साफ़ रहेगा।
  • मित्रता अच्छे और सकारात्मक लोगो से रखें, समय मिलने पर अच्छा साहित्य, और महापुरषो की जीवनी का अध्ययन करें।

इस जीवन चर्या का गंभीरता से पालन करने का प्रयास करें। आपका जीवन अमूल्य है इसे व्यर्थ ना जाने दे।

रोगी की स्थिति गंभीर होने पर एलोपैथिक या आयुर्वेदिक चिकित्सक का परामर्श लिया जा सकता है| यह उपचार सामानांतर भी लिया जा सकता है। बस अंग्रेजी और आयुर्वेदिक दवाओ के सेवन में आधे घंटे का अंतराल रखें और एक दिन में 1 ही गोली मल्टीविटामिन के ले।

नोट: मानसिक रोग (Mental Illness) की गंभीरता को देखते हुए उपचार में 6 माह से 3 वर्षा का समय लग सकता है, पर सकारात्मक परिणाम आना 15 से 20 दिन में ही शुरू हो जायेंगे।

यह भी पढ़िये – Kele Ke Fayde: मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए एक सुपरफूड है केला

मानसिक रोगों को लेकर समाज में भ्रांती (Misconceptions About Mental Illness in The Society):

मानसिक रोगी को भारतीय समाज में लोग हीन भावना की दृष्टि से देखते है, जिसके कारण मानसिक रोगी और उसका परिवार रोगियों के उपचार से झिझकते है, और रोगी पर अनुचित दबाव बनाया जाता है। पर सच्चाई यह है कि जिस प्रकार एक थाइरोइड या डायबिटीज के मरीज़ के शरीर में कुछ हॉर्मोन या केमिकल्स सही प्रकार से कार्य नही कर पा रहें है। उसी प्रकार एक मानसिक रोगी के शरीर में भी कुछ केमिकल्स सही से कार्य नही कर रहे है जिन्हें ठीक किया जा सकता है।

समाज और परिवार को ऐसे रोगियों के लिए उदारता दिखानी चाहिए इनका इलाज़ संभव है।

सारांश:
  1. सूर्य त्राटक एवं आनापान ध्यान का नियमित रूप से अभ्यास करें।
  2. पौष्टिक भोजन लें जिसमें दूध, दही, हरी सब्जियां, फल (केले का सेवन श्रेष्ठ है) रोज़ 2 से 3 केले खा सकते है।
  3. नियमित रूप से दवा ले  Mentat DS 10 ml दिन में 2 बार खाने के आधा घंटे बाद , Supradyn दिन की 1 गोली।
  4. सत्यनारायण गोयनका जी द्वारा दिए गए उपदेशों को यथासंभव सुने और उनका स्मरण करें।

यह जीवन अमूल्य है, इसकी रक्षा करना आपका परम धर्म है।

“प्रकृति आपको स्वस्थ और सफल जीवन प्रदान करे”।

नमो: बुद्धाय

लेखक: डॉ. अनिल कुमार शर्मा (भूतपूर्व अतरिक्त निदेशक आयुर्वेद विभाग, राजस्थान सरकार)

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