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Month Wise Diet for Pregnant Women According to Ayurveda (आयुर्वेद के अनुसार मंथ वाइज गर्भवती स्त्रियों का आहार)

Month Wise Diet for Pregnant Women According to Ayurveda

Diet for Pregnant Women: – गर्भावस्था में शिशु अपने पोषण के लिए अपनी माँ पर ही निर्भर होता है, और गर्भावस्था वह समय है जब भ्रूण से शिशु का निर्माण हो रहा होता है। हमारी परंपरा और आयुर्वेद के अनुसार शिशु के शरीर के निर्माण और भविष्य के स्वस्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव गर्भ में प्राप्त पोषण से मिलता है। इस समय महिलाओं को सामान्य से कम से कम 300 कैलोरी से अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।

Introduction
गर्भवती स्त्री को विशेष ऊर्जा, शक्ति तथा पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। ‘चरकसहिता’ के अनुसार गर्भवती स्त्री को गर्भ के नौ महीने के दौरान ऐसे खान-पान का सेवन करना चाहिए जो की उसके स्वस्थ्य के अनुकूल हो। अगर गलत खान- पान की वजह से माँ को कोई तकलीफ होती है तो उसका बुरा असर गर्भ में पल रहे उसके शिशु पर भी पड़ता है।

इस सम्बन्ध में यहाँ एक तालिका दी जा रही है।

Diet for Pregnant Women

क्र. स.

पोषक तत्त्व खाद्य पदार्थ

उपयोग

1

विटामिन्स ताजे फल, हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, सलाद आदि। स्वस्थ प्लेसेंटा (नाल) तथा आयरन के शोषण के लिए।
2 कैलशियम दूध, दूध से बने पदार्थ,अखरोट,बादाम, पिस्ता आदि।

भ्रूण की हड्डियों एवं दांतो के विकास के लिए ज़रूरी  तत्त्व।

3

आयरन सूखे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ताजे फल आदि। भ्रूण में रक्त कोशिकाओं के निमार्ण के लिए बहुत आवश्यक है।

4

जिंक अनाज, दालें इत्यादि।

 बच्चे के ऊतकों के विकास के लिए।

5 फॉलिक एसिड हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अनाज आदि।

  बच्चे के स्त्रायु – तंत्र के विकास के लिए।

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Month Wise Diet for Pregnant Women According to Ayurveda

क्र. स

महीना

खान-पान

1 पहला महीना पहले महीने के दौरान गर्भवती को सुबह-शाम मिश्री-मिला दूध पीना चाहिए। नारियल की सफेद गिरि के टुकड़े चाबा-चाबा कर खाने चाहिए।
2 दूसरा महीना दूसरे महीने के शुरू से दस ग्राम शतावर का पाउडर और पिसी मिश्री को दूध में डालकर उबाले। उबालने के बाद घुट घुट कर यह दूध पी लें। पूरे माह सुबह और रात को सोने से पहले इसका सेवन करें। इसके स्थान पर झंडू (zandu) फार्मेसी का सतावरेक्स (Satavarex) पाउडर भी दो-दो चम्मच  दूध में मिला के सुबह शाम पी सकते हो।
3 तीसरा महीना तीसरा महीना के शुरू होने पर सुबह-शाम एक गिलास ठन्डे किये गए दूध में एक चम्मच शुद्ध घी और तीन चम्मच शहद घोलकर पीयें।
4 चौथा महीना चौथे महीने में दूध के साथ मक्खन का सेवन करें।
5 पांचवा महीना पांचवे माह में सुबह शाम दूध के साथ एक चम्मच शुद्ध घी का सेवन करे।
6 छठा महीना छठे महीने में भी शतावर का चूर्ण और पिसी मिश्री डालकर दूध उबालें, थोड़ा ठंडा करके पीएं, शतावर चूर्ण के स्थान पर झंडू (zandu) फार्मेसी का सतावरेक्स (Satavarex) पाउडर भी दो-दो चम्मच  दूध में मिला के सुबह शाम पी सकते हो।
7 सातवां महीना सातवे महीने में भी छठे महीने की तरह दूध पीए, और सुबह के समय दूध के साथ एक चमच सोमघृत का सेवन बराबर करते रहें।
8 आठवा महीना आठवें महीने में भी दूध, घी, सोमघृता का सेवन जारी रखना चाहिए, साथ ही शाम को हल्का भोजन करें। इस महीने में गर्भवती को अक्सर कब्ज या गैस की शिकायत रहने लगती है, इसलिए तरल पदार्थ ज्यादा ले। यदि फिर भी कब्ज़ा अधिक रहती हूँ तो रात में दूध के साथ एक दो चम्मच इसबगोल ले।
9 नौवा महीना नवें महीने में खान-पान का सेवन आठवें महीने की तरह ही करें। बस इस महीने में सोमघृत का सेवन बिलकुल बंद कर दे।

इस प्रकार पौष्टिक भोजन का सेवन नौ महीने तक करके एक गर्भवती महिला एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है, और खुद के शरीर को भी स्वस्थ रख सकती है।

“आशा करता हूँ यह लेख गर्भवती महिलाओं के आहार को लेकर एक उचित मार्गदर्शन प्रदान करेगा।”

यह लेख भूतपूर्व अतिरिक्त निदेशक आयुर्वेद विभाग राजस्थान सरकार डॉ. अनिल कुमार शर्मा (BAMS) के मार्गदर्शन में लिखा गया है।

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