Vipassana Jaipur : जयपुर के हलचल भरे शहर में, जीवंत रंगों और समृद्ध इतिहास के बीच, आत्म-खोज और आंतरिक शांति का एक शांत नखलिस्तान है – विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation)। प्राचीन शिक्षाओं में निहित और दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा अभ्यास की जाने वाली विपश्यना एक परिवर्तनकारी यात्रा प्रदान करती है जो न केवल मानसिक स्पष्टता को बढ़ाती है बल्कि व्यक्तिगत विकास को भी बढ़ावा देती है। यह लेख जयपुर के केंद्र में विपश्यना (Vipassana Jaipur) का अभ्यास करने के गहन अनुभव पर प्रकाश डालता है।
विपस्सना क्या है ? (What is Vipassana?)
विपस्सना क्या है इसके बारे में अनेक विद्वानों के अनेक मत है। विपस्सना भारतीय अध्यात्म का बहुत प्राचीन और बहुत दुर्लभ योग है, 2500 वर्ष पूर्व महात्मा गौतम बुद्ध द्वारा इसे वापस खोजा गया। भारत से यह पूरे संसार में फ़ैला और इसने भारत में पुनः वापसी भी की।
- यह दुखो को दूर करने का योग है।
- यह दुःख निरोध प्रतिपदा गामिनि योग है।
- यह इस काया के अंदर सत्य अनुसन्धान की विधि है।
- यह जीवन जीने की कला है, विज्ञान है, और आध्यात्मिक प्रगति दिलाने वाला है।
- विपस्सना का अर्थ होता है, देखना जैसा जैसा हो रहा है उससे ठीक वैसा-वैसा जानना देखना, इस शरीर में सुखद अथवा दुखद संवेदनाओं को भोगे बिना उसको स्वीकार्य भाव से केवल उस पल की सच्चाई के रूप में स्वीकार करके देखने को विपस्सना कहते है।
भारत में विपस्सना के पुनःस्थापना की पूरी कहानी (The full Story of the Restoration of Vipassana in India)
एक भारतवंशी व्यापारी “श्री सत्यनारायण गोयनका” जिनका जन्म बर्मा में हुआ और जिनका परिवार बर्मा में रहकर व्यापार करता था। गोयनका जी बचपन से ही बहुत तेजस्वी थी और उनकी अध्यात्म में गहरी रूचि थी, गोयनका जी बचपन से ही गीता और रामायण का अध्यन करते थे।
बचपन में ही गोयनका जी माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हो गये और उम्र के साथ-साथ उनकी यह समस्या बढ़ती गयी। विश्व के अग्रणी से अग्रणी चिकित्सक से इलाज लेने के बाद भी गोयनका जी को इस समस्या से निदान नही मिला बल्कि जो मॉर्फिन का इंजेक्शन उन्हें सप्ताह में एक बार लेना पड़ता था। अब इस इंजेक्शन की बारंबारता बढ़ती जा रही थी और अब इसकी बारंबारता हर सप्ताह से हर रोज़ एक इंजेक्शन पर आ गयी थी।
इस समस्या के समाधान के लिए उन्हें बर्मा में उनके मित्र ने सुझाया कि यहाँ बर्मा में एक “ऊबा खिन” नाम के व्यक्ति है, जो “विपस्सना ध्यान योग” सिखाते है और गोयनका जी को उनसे संपर्क करने के लिए कहा, जब गोयनका जी ऊबा खिन जी से मिले और उन्होंने उन्हें अपनी समस्या के बारे में बताया तो ऊबा खिन जी ने कहा की में किसी समस्या या बीमारी को ठीक करने वाला नही बल्कि विपस्सना ध्यान योग, और शुद्ध धर्म सिखाने वाला हूँ। गोयनका जी ने ऊबा खिन जी से उन्हें अपना शिष्य बनाने और दीक्षा देने का आग्रह किया जिसे ऊबा खिन जी ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद गोयनका जी ने 14 वर्षो तक ऊबा खिन जी से विपशयना ध्यान योग की दीक्षा ली। दीक्षा लेने की बाद ऊबा खिन जी ने गोयनका जी को गुरु होने के नाते आदेश दिया की वे यह इस ध्यान योग का प्रचार और प्रसार उस देश में करें जो देश इस ज्ञान की जन्मस्थली है, वैसे बर्मा देश में यह बात बहुत प्रचलित थी कि जो देश इस विद्या की जन्मस्थली है, 2500 वर्ष बाद पुनः इस विद्या का प्रसार अपने जन्मस्थान भारत देश में होगा।
इसी सिलसिले में वर्ष 1969 में गोयनका जी भारत लौटे और उन्होंने “धम्मा थल्ली” विपस्सना ध्यान केन्द्रो की स्थापना और इस दुर्लभ योग के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में कार्य करना प्रारंभ कर दिया। चूँकि गोयनका जी भारत के राजस्थान राज्य के मूल निवासी थी उन्होंने राजस्थान सरकार से भी संपर्क किया और इसी क्रम में उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री “श्री हरिदेव जोशी”, ड़िजी पुलिस, और जेलर सुपरिटेंडेंट, जयपुर सेंट्रल जेल के सहयोग से जयपुर सेंट्रल जेल में कैदियों के लिए शिविर लगाया गया और आश्चर्य की बात यह यह थी कि इस शिविर से किसी भी कैदी ने भागने की कोशिश नही की।
इस अद्भुत आध्यात्मिक शिविर को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री “श्री हरिदेव जोशी” जी ने जयपुर में प्रसिद्ध गलता जी मंदिर के पास अरावली की मनोरम पहाड़ियों में प्रकृति के बीच इस केंद्र की स्थापना के लिए जमीन आवंटित करी। इस क्षेत्र में विकसित किये गए केंद्र को “धम्मा थली” जयपुर कहा जाता है।
धम्म शब्द का अर्थ (Meaning of the word Dhamma)
बुद्ध के अनुसार धम्म का अर्थ होता है, प्रकृति के नियमों और सिद्धान्तों को जानने और यह जानना अपने बोधिसत्व को जगा के यानी आत्म ज्ञान को प्राप्त करने से होगा, और जिस स्थान पे व्यक्ति इस धम्म को जानना सीखें या उसकी शिक्षा प्राप्त करें उसे धम्मा थली कहते है।
विपस्सना केंद्र, जयपुर (Vipassana Jaipur) या धम्मा थलि, जयपुर (Dhamma Thali, Jaipur)
यह केंद्र जयपुर के बाहरी इलाके में स्थित है। यह चारों तरफ से रमणीय पहाड़ियों से घिरा है। यह सबसे पुराने और सबसे बड़े केन्द्रों में से एक है। इसे 1977 में स्थापित करा गया था। यह स्थान कुल 1.6 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है। इसमें 200 छात्रों के रहने की व्यवस्था है। इसमें लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग कैंपस है, जिसमे उनके रहने की व्यवस्था है। हिंदी और अंग्रेज़ी में प्रवचन सुनाने के अलग-अलग हॉल है। इस धम्मा थाली में एक 3 मंज़िला अष्टकोणिय पैगोडा है, जिसमे गम्भीर एकांत ध्यान के 200 कक्षा है।
इस स्थान को विपस्सी साधक (Vipassi seeker) इसलिए भी विशिष्ट मानते है, क्योंकि गोयनका जी ने भी इस भूमि पर साधना की थी इसलिए विपस्सी साधक इस स्थान पे जीवन में एक शिविर अवश्य करना चाहते है।
विपस्सना ध्यान शिविर (Vipassana Meditation Camp) के लिए रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन वेबसाइट से किया जा सकता है। इसमें रजिस्ट्रेशन का लिंक नीचे दिया गया है।
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निष्कर्ष (Conclusion)
जयपुर में विपश्यना (Vipassana Jaipur) ध्यान यात्रा शुरू करना आत्म-खोज और आंतरिक शांति की दिशा में एक गहरा कदम है। जीवंत शहर के बीच, विपश्यना ध्यान केंद्र (Vipassana Meditation Center) शांति के स्वर्ग के रूप में खड़ा है, जो व्यक्तियों को गहरे स्तर पर खुद से जुड़ने का मौका देता है। चाहे आप सचेतनता के आकर्षण से आकर्षित हों या जीवन की उथल-पुथल से राहत पाने की इच्छा से, जयपुर में विपश्यना एक ऐसे अनुभव का वादा करती है जो समृद्ध और परिवर्तनकारी दोनों है।