क्या आपने मधुमेह के बारे में सुना है? इसे हिंदी में “मधुमेह” कहा जाता है। मूल रूप से, यह तब होता है जब आपके रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक हो जाता है, जिसे हाइपरग्लेसेमिया कहा जाता है। लेकिन चिंता न करें, आपके शरीर में इंसुलिन नामक एक विशेष हार्मोन होता है जो आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। जब इंसुलिन का स्तर बढ़ता है, तो आपके रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है, और जब इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है, तो आपके रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। स्वस्थ रहने के लिए अपने रक्त शर्करा के स्तर पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है! इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे डायबिटीज के मरीज़ो के लिए रामबाण है यह आयुर्वेदिक दवाई।
रक्त में ग्लूकोज की मात्रा का नियंत्रण एक विशेष प्रकार का हॉर्मोन करता है, जिसे हम इन्सुलिन (Insulin) कहते है।
- यदि रक्त में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है, तो इससे रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा कम हो जाती है, रक्त में ग्लूकोज़ की कमी को हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) कहतें है।
- यदि इन्सुलिन की मात्रा रक्त में कम हो जाती है, तो रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है, रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाने को हायपरग़्लासेमिया (Hyperglycemia) कहते है।
मधुमेह के प्रकार (Types of Diabetes)
1. डायबिटीज मेलिटस (Diabetes Mellitus)
डायबिटीज मेलिटस एक ऐसी अवस्था होती है, जिसमे शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा रक्त में बढ़ जाती है।
2. Diabetes Insipidus (डायबिटीज इन्सिपिडस )
डायबिटीज इन्सिपिडस (Diabetes Insipidus) एक ऐसी अवस्था होती है, जिसमे शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा तो नियंत्रित होती है, पर किडनी ठीक से फिल्टरेशन नहीं कर पाती है।
डायबिटीज मेलिटस के प्रकार (Types of Diabetes Mellitus)
1. टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)
- टाइप 1 डायबिटीज में पैंक्रियास की बीटा कोशिकाएं इन्सुलिन बनाना बंद कर देती है, जिससे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है।
- अधिकतर लोग जो टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित होते है, वे बच्चे और जवान लोग होते है।
- यह जेनेटिक कारण से होती है, और यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होती है।
डायबिटीज कीटोएसिडोसिस (Diabetes Ketoacidosis)
- टाइप 1 डायबिटीज में इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है, और ग्लूकोज कि मात्रा रक्त में बढ़ जाती है यह यूरिन के द्वारा शरीर से बाहर निकलने लगता है, इस कारण शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज का पूर्ण रूप से इस्तेमाल नहीं कर पाती इस अवस्था में कोशिका का प्रोटीन एवं लिपिड का टूटना शुरू हो जाता है।
- जब वसा टूटती है, तब यह दो भागों में टूटती है यह दो भाग होते है फैटी एसिड और कीटोन और यह यूरिन के द्वारा शरीर से बहार निकलने लगता है इस कंडीशन को कीटोएसिडोसिस कहा जाता है।
टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Type 1 Diabetes)
- टाइप 1 डायबिटीज में यूरिन की मात्रा बढ़ जाती है।
- थकावट
- कमजोरी होना।
- वजन कम हो जाना।
- हृदय की गति अनियमित होना।
2. टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes)
- टाइप 2 डायबिटीज में इन्सुलिन पर्याप्त मात्रा में बनता है, पर शरीर की कोशिकाएं उसका इस्तेमाल नहीं कर पाती है। इंसुलिन रेसिस्टेन्स के कारण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है।
- यह बीमारी ज्यादातर मोटे लोगों में और बढ़ती उम्र के साथ लोगो में देखने को मिलती है।
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Type 2 Diabetes)
- टाइप 2 डायबिटीज में यूरिन की मात्रा बढ़ जाती है।
- थकावट
- कमजोरी होना।
- वजन कम हो जाना।
- हृदय की गति अनियमित होना।
डायबिटीज का प्रयोगशाला में परिक्षण (Laboratory diagnosis of diabetes)
HBA1C Test
यह एक विशिष्ट प्रकार का टेस्ट होता है, जिसका पूरा नाम ग़्लायसेटेड हीमोग्लोबिन A1C है, इस टेस्ट का इस्तेमाल डायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- सामान्य रिजल्ट : 5 से 7 %
- प्रिडायाबेटिक : 7 से 8 %
- डायाबेटिक 8% से अधिक
HBA1C एक प्रकार एक विशिष्ट प्रकार का टेस्ट है, जिसका इस्तेमाल रक्त में उपस्थित ग़्लायसेटेड हीमोग्लोबिन की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जाता है।
ऐसा क्यों किया जाता है।
- ग़्लायसेटेड हीमोग्लोबिन जो की आरबीसी (RBC) की सतह पर पाया जाता है, जब ग्लूकोज आरबीसी (RBC) से जुड़ता है, तब ग़्लायसेटेड हीमोग्लोबिन का निर्माण होता है। तो क्यों ना ग्लूकोज को काउंट ना करके ग़्लायसेटेड हीमोग्लोबिन को काउंट कर ले। ग़्लायसेटेड हीमोग्लोबिन से पता चल जायेगा की शरीर में कितना ग्लूकोज है।
- इस टेस्ट का इस्तेमाल शरीर में उपस्थित 3 महीने पुरानी शुगर का पता लगाने के लिए किया जाता है। इससे पता लगता है की तीन महीने से मरीज़ के शरीर में कितना ग्लूकोज बढ़ रहा है या कम हो रहा है।
इस टेस्ट को करने का उद्देश्य क्या है ? (What is the purpose of doing this test?)
- इस टेस्ट को डायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- इस टेस्ट को प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।
- यह परीक्षण यह निर्धारित करने में मदद करता है कि मधुमेह रोगियों के इलाज के लिए किस प्रकार की दवाओं की आवश्यकता है।
HBA1C टेस्ट कब किया जाता है।
- यह टेस्ट डायबिटीज के पेशेंट्स में डॉक्टरी सलाह के अनुसार किया जाता है।
- यदि चक्कर आएं तो करवाया जाता है।
- हृदय की कोई बीमारी होने पर किया जाता है।
- हमेशा सर दर्द होने पर भी कभी कभी कराया जाता है।
- किसी भी बड़े ऑपरेशन से पहले।
HBA1C के स्तर।
- सामान्य स्थिति : 4 से 6 %
- प्रीडायबिटिक : 7 से 8 %
- अत्यधिक मधुमेह (Diabetes) होने पर : 8 से 9 %
क्या कारण है HBA1C के स्तर सामान्य से कम होने के।
- हिमोलायटिक एनिमिया (Hemolytic Anemia)
- रक्त की हानि होने पर (Chronic Blood Loss)
- बहुत समय से किडनी ख़राब होती आ रही हो (Patient have been suffering from kidney failure for a long time)
- गर्भावस्था के दौरान (During Pregnancy)
HBA1C के स्तर बढ़ने के कारण।
- पेशेंट के प्रीडायबिटिक होने पर (If the patient is prediabetic)
- यदि व्यक्ति को बहुत अधिक डायबिटीज हो(If the person is suffering from high diabetes)
- ऐसे एनीमिया के कारण जिसमे मरीज़ के शरीर में आयरन, विटामिन बी 12 की कमी आ जाए (Due to such anemia in which there is deficiency of iron, vitamin B12 in the body of the patient)
डायबिटीज के पेशेंट HBA1C के स्तर को कैसे नियंत्रित करें (How diabetic patients can control their HBA1C levels)
- रोज एक्सरसाइज और योग करें (Do exercise and yoga daily)
- ज्यादा मात्रा में चीनी ना ले (Don’t eat too much sugar)
- समय से प्रॉपर चेकअप कराएं (Get proper checkups done on time)
- प्रोटीन युक्त आहार लें (Take protein rich diet)
Also See – Gehu Ka Daliya Khane Ke Fayde
सभी प्रकार के डायबिटीज के मरीज़ों के लिए रामबाण औषधि (Panacea for all type of diabetic patients)
शिवा गुटिका (Shiva Gutika)
शिवा गुटिका एक ऐसी औषधि जिसके प्रयोग से ना केवल ब्लड शुगर लेवल कण्ट्रोल में रहता है, इसके अतरिक्त शरीर के अन्य अंगों को शक्ति प्रदान करती है और शुगर और इसकी दवाओं से शरीर पे होने वाले दुष्प्रभावों से बचाव करती है।
मुख्य लाभ (Key Benefits)
- यह औषधि हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है (This medicine helps in maintaining heart health)
- यह औषधि रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखती है (This medicine helps in maintaining blood sugar levels)
- यह औषधि एनीमिया से जुड़े लक्षणों को दूर करती है, और एनीमिया के उपचार में भी मददगार करती है (This medicine relieves the symptoms associated with anemia, and also helps in the treatment of anemia)
- यह औषधि गठिया से जुड़े दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है (This medicine helps in relieving the pain associated with arthritis)
- यह यकृत और प्लीहा के विकारों को प्रबंधित करने में मदद करती है, और यकृत रोगों के जोखिम को कम करती है (This medicine helps in managing disorders of the liver and spleen and reduces the risk of liver diseases)
- यह श्वसन संबंधी विकारों और ब्रोंकाइटिस और खांसी के पुराने मामलों सहित इससे जुड़ी बीमारियों में उपयोगी है (It is useful in respiratory disorders, and ailments associated with it including bronchitis and chronic cases of cough)
- यह थकान और थकावट सहित एनीमिया से जुड़े लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करता है (It helps in relieving signs associated with anemia including fatigue and exhaustion)
- यह औषधि त्वचा संबंधी विकारों से राहत दिलाने में मदद करती है, और इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं जो गठिया से जुड़े दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं (It helps in relieving skin disorders and contains anti-inflammatory properties that help in relieving pains associated with arthritis)
- यह मिर्गी और मानसिक रोगों के इलाज में भी उपयोगी है (It is also useful in the treatment of epilepsy and mental diseases)
- यह औषधि अपने मुख्य घटको और उनके योग के कारण हृदय, यकृत (लिवर) , गुर्दे (किडनी), और मस्तिष्क को बल प्रदान करती है और मधुमेह (डायबिटीज) और उसकी दवाओं से होने वाले दुष्प्रभावों से बचती है।
- एलोपैथिक दवाओं के साथ इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है, पर दोनों दवाओं को लेने में 1 घंटे कम से कम अंतराल रखें ।
- इस दवा को भोजन के उपरांत दूध अथवा पानी (फ्रिज का ठंडा ना हो ) से 1 -1 गोली सुबह शाम लेना लाभदायक है, क्यूंकि भोजन के समय एलोपैथिक दवा या इन्सुलिन दिया जाता है।
मैंने मेरी 39 वर्ष की प्रैक्टिस में सैकड़ों डायबिटीज के मरीज़ों के इलाज में इस औषधि का प्रयोग किया और इसके परिणाम बहुत अच्छे रहे, और रोगियों में इंसुलिन लेने की मात्रा और अन्य दवाओं की डोज़ में भी काफी कमी आयी, और मरीज़ स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करने लगे।
नोट : नागार्जुन फार्मेसी के परिणाम सबसे अच्छे रहे है, जहाँ तक संभव हो इस फार्मेसी की दवा का प्रयोग करें।
मैं आपके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करता हूँ।
लेखक : डॉ अनिल कुमार शर्मा (सेवानिवृत अतरिक्त निदेशक आयुर्वेद विभाग, राजस्थान सरकार )
FAQs
- मधुमेह क्या होती है (What is Diabetes ?)
मधुमेह (Diabetes) एक प्रकार की ऐसी बीमारी होती है, जिसमे हमारे शरीर के रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है, इस अवस्था को हायपरग़्लासेमिया (Hyperglycemia) कहते है